गणधरवलय मंत्र का पद्यानुवाद
गणधरवलय मंत्र का पद्यानुवाद -गणिनी ज्ञानमती —शंभु छंद— मैं नमूँ जिनों को जो अर्हन्, अवधीजिन मुनि को नमूँ नमूँ। परमावधि जिन को नमूँ तथा, सर्वावधि जिन को नमूँ नमूँ।। मैं नमूँ अनंतावधि जिन को, अरु कोष्ठबुद्धि युत साधु नमूँ। मैं नमूँ बीजबुद्धीयुत मुनि, पादानुसारियुत साधु नमूँ।।१।। संभिन्नश्रोतृयुत साधु नमूँ, मैं स्वयंबुद्ध मुनिराज नमूँ। प्रत्येक बुद्ध…