भगवान महावीर का समवसरण
भगवान महावीर का समवसरण……. केवलज्ञान के उत्पन्न होते ही तीर्थंकर का परमौदारिक शरीर पृथ्वी से पाँच हजार धनुष1 (20000 हाथ प्रमाण) ऊपर चला जाता है। उस समय तीनों लोकों में अतिशय क्षोभ उत्पन्न होता है और सौधर्म आदि इन्द्रों के आसन कंपायमान हो जाते हैं। भवनवासी देवों के यहाँ अपने आप शंख का नाद होने…