समवसरण मानस्तंभ स्तोत्र
“…समवसरण मानस्तंभ स्तोत्र…” —शंभुछंद— चौबिस तीर्थंकर वंदन कर, उन प्रभु के समवसरण प्रणमूं। प्रभु समवसरण में चारों दिश, मानस्तंभों को नित्य नमूं।। मानस्तंभों में चारों दिश, जिनवर प्रतिमा को कोटि नमूं। जिनप्रतिमा को वंदन कर—कर, क्षायिक सम्यक्त्व सदा प्रणमूं।।१।। एकेक प्रभू के चार—चार, हैं मानस्तंभ चमत्कारी। चौबिस प्रभु के छ्यानवे कहे, ये सब अतिशायि सौख्यकारी।।…