जयमाला
जयमाला….. —त्रिभंगी छंद— जय जय जिन श्रमणी, गुणमणि धरणी, नारि शिरोमणि सुरवंद्या। जय रत्नत्रयधनि, परम तपस्विनि, स्वात्मचिंतवनि त्रय संध्या।। मुनि सामाचारी, सर्व प्रकारी, पालनहारी अहर्निशी। मैं पूूजूँ ध्याऊँ, तुम गुण गाऊँ, निजपद पाऊँ ऊर्ध्वदिशी।।१।। —स्रग्विणी छंंद— धन्य धन्या मही आर्यिकायें जहाँ। मैं करूं मात! वंदामि तुमको यहाँ।। आप सम्यक्त्व से शुद्ध निर्दोष हो। शास्त्र के…