कृतिकर्म के भेद
कृतिकर्म के भेद मूल में कृतिकर्म के यहाँ पर दो भेद विवक्षित हैं-देववन्दना, प्रतिक्रमण आदि क्रियाओं में भक्ति पढ़ने के प्रारंभ में प्रतिज्ञा से लेकर भक्तिपाठ से पूर्व तक जो विधि होती है, वह प्रथम भेद है। देखिए- प्रथम भेद- किदियम्मं अरहंत-सिद्धाइरिय-उवझाय-गणचिंतय-गणवसहाईणं कीरमाण-पूजाविहाणं वण्णेदि१। एत्थुववुज्जंती गाहा- दुओणदं जहाजादं बारसावत्तमेव वा। चउसीसं तिसुद्धं च किदियम्मं पउंजए।।६४।।…