उषा-वंदना
“…उषा-वंदना…” उठो भव्य! खिल रही है उषा, तीर्थ वंदना स्तवन करो। आर्त रौद्र दुर्ध्यान छोड़कर, श्री जिनवर का ध्यान करो।। उठो भव्य.।। अष्टापद से वृषभदेव जिन, वासुपूज्य चंपापुरि से। ऊर्जयन्त से श्री नेमीश्चर, मुक्ति गये वंदों रुचि से।। उठो भव्य.।।१।। पावापुरी सरोवर से इस, उषाकाल में श्री महावीर। विधुतक्लेश निर्वाण गये हैं, नमो उन्हें झट…