नवग्रहारिष्ट निवारक ९ तीर्थंकरों का जीवन दर्शन
नवग्रहारिष्ट निवारक ९ तीर्थंकरों का जीवन दर्शन
नवग्रहशांतिकर ९ तीर्थंकरों की स्तुति श्री पद्मप्रभ स्तुति (सूर्य ग्रहारिष्ट निवारक) तव विश्ववंद्य चरणारविंद, संकल्पमात्र शुभ फलदायक। गणधर मुनिगण नुत देव! सदा, मनवचतन से प्रणमूँ सुखप्रद।। तव पादयुगल की भक्ती से, मानव संसार जलधि तिरते। पद्मा से आलिंगित मूर्ति, पद्मप्रभ! मुझको सम कीजे।।१।। कौशाम्बी के नृप ‘धरण’ पिता, औ प्रसू सुसीमा ख्यात जगत्। इक्ष्वाकुवंश के…
नवग्रह शांति व्रत विधि- वर्ष में तीन बार आष्टान्हिक पर्व आता है। उन्हीं पर्वों में एक दिन पहले से यह व्रत किया जाता है। जैसे कि आषाढ़ शुक्ला सप्तमी से आषाढ़ शु. पूर्णिमा तक। कार्तिक शु. सप्तमी से पूर्णिमा तक एवं फाल्गुन शु. ७ से पूर्णिमा तक, ऐसे वर्ष में तीन बार यह व्रत करना…
नवग्रहशांति मंत्र (नं.-४) नवग्रहशांति के हेतु नव मंत्र चतुर्थ प्रकार के प्राप्त हैं- १. ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (७००० जाप्य) २. ॐ ह्रीं क्रौं श्रीं क्लीं चन्द्रग्रहारिष्टनिवारक श्री चन्द्रप्रभजिनेंद्राय नम: शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। (११००० जाप्य) ३. ॐ आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमग्रहारिष्टनिवारक श्री वासुपूज्यजिनेंद्राय नम:…
अथ नवग्रहशांति स्तोत्रम्… (चौबीस तीर्थंकर समन्वित) जगद्गुरुं नमस्कृत्य श्रुत्वा सद्गुरुभाषितम्। ग्रहशांतिं प्रवक्ष्यामि लोकानां सुखहेतवे।।१।। जिनेन्द्रा: खेचरा ज्ञेया:, पूजनीया विधिक्रमात्। पुष्पैर्विलेपनैर्धूपैर्नैवेद्यैस्तुष्टिहेतवे ।।२।। पद्मप्रभस्य मार्तण्डश्चन्द्र: चन्द्रप्रभस्य च। वासुपूज्यस्य भूपुत्रो बुधश्चाष्टजिनेशिनाम् ।।३।। विमलानन्तधर्मारा:-शांति:कुंथुर्नमिस्तथा। वर्धमानजिनेन्द्रस्य पादपद्मं बुधो नमेत् ।।४।। ऋषभाजितसुपार्श्वा: साभिनंदनशीतलौ। सुमति: संभवस्वामी, श्रेयसश्च वृहस्पति:।।५।। सुविधि: कथित: शुक्रे, सुव्रतश्च शनिश्चरे। नेमिनाथो भवेद् राहो: केतुश्चमल्लिपार्श्वयो:।।६।। जन्मलग्नं च राशिश्च, यदि पीडयंति…
नवग्रहशांति मंत्र (नं.-३)…. णमोकार महामंत्र के एक-एक पद भी एक-एक ग्रह की शांति के लिए माने गये हैं, जो कि सूर्य, चन्द्र आदि के नंबर से दिये गये हैं- १. ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं। (७००० जाप्य) २. ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं। (११००० जाप्य) ३. ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं। (१०००० जाप्य) ४. ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं।…
नवग्रहशांति मंत्र (नं.-२) नवग्रहशांतिकारक बृहद् नव मंत्र अन्यत्र उपलब्ध हैं १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्मप्रभतीर्थंकराय कुसुमयक्ष-मनोवेगायक्षीसहिताय ॐ आं क्रौं ह्रीं ह्र: आदित्यमहाग्रह! मम (……….) सर्वदुष्टग्रहरोग-कष्टनिवारणं कुरु कुरु सर्वशांतिं कुरु कुरु सर्वसमृद्धिं कुरु कुरु इष्टसंपदां कुरु कुरु अनिष्टनिवारणं कुरु कुरु धनधान्यसमृद्धिं कुरु कुरु काममांगल्योत्सवं कुरु कुरु हूँ फट् स्वाहा। (७००० जाप्य) अथवा-१. ॐ नमोऽर्हते भगवते…
श्री नवतीर्थंकर स्तुति….. -अनुष्टुप् छंद- सिद्धान् सर्वान् नमस्कृत्य, सर्वसौख्यप्रदायकान्। नवग्रहस्य शान्त्यर्थं, नवतीर्थंकरान् स्तुवे।।१।। मुक्तिपद्मासुकांताय, पद्मप्रभ! नमोस्तु ते। आदित्यग्रहशान्त्यर्थं, निजलक्ष्म्यै नमो नम:।।२।। वागमृतकरैर्भव्य-पोषिणे जिनचंद्र! ते। नमो नमोऽस्तु चन्द्राय, सोमग्रहस्यशान्तये।।३।। वासुपूज्यो जगत्पूज्य:, पूज्यपूजातिदूरग:। कुजग्रहस्यशांतिर्ये, भवेत्तुभ्यं नमो नम:।।४।। कर्ममल्लभिदे तुभ्यं, मल्लिनाथ! नमो नम:। बुधग्रहस्यशान्त्यर्थं, भववल्लिभिदे नम:।।५।। वर्धमानो महावीरो-ऽतिवीरो सन्मतिर्जिन:। वीरनाथो नमस्तुभ्यं, गुरूग्रहस्यशान्तये।।६।। पुष्पदंतजिनेन्द्राय, पुष्पवाणच्छिदे नम:। शुक्रग्रहस्यशान्त्यर्थं, स्वात्मपुष्ट्यै नमो…
नवग्रह शांति मंत्र (नं.-१) १. ॐ ह्रीं अर्हं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक-श्री पद्मप्रभ-जिनेन्द्राय नम: सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा। २. ॐ ह्रीं अर्हं सोमग्रहारिष्टनिवारक-श्री चन्द्रप्रभ-जिनेन्द्राय नम: सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा। ३. ॐ ह्रीं अर्हं मंगलग्रहारिष्टनिवारक-श्री वासुपूज्य-जिनेन्द्राय नम: सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा। ४. ॐ ह्रीं अर्हं बुधग्रहारिष्टनिवारक-श्री मल्लिनाथ-जिनेन्द्राय नम: सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा। ५. ॐ ह्रीं अर्हं गुरुग्रहारिष्टनिवारक-श्री महावीर-जिनेन्द्राय नम:…
नवग्रह शांतिकर नव तीर्थंकरों के नाम……. अर्के पद्मप्रभश्चैव, सोमे चन्द्रप्रभस्तथा। मंगले वासुपूज्यश्च बुधे मल्लिजिनेश्वर:।।१।। गुरौ तु वर्धमानश्च शुक्रे पुष्पजिनेश्वर:। राहौ नेमिजिनेंद्र: स्याच्छनौ च मुनिसुव्रत:।।२।। केतौ तु पार्श्वनाथश्चेत्येते नवग्रहाधिपा:। कल्याणं संततं कुर्यु: भव्यं भव्यैकसंहते:।।३।। (जिनसागरसूरि कृत नवग्रह विधान से) सूर्य ग्रह के लिए पद्मप्रभ, सोमग्रह के लिए चंद्रप्रभ, मंगलग्रह हेतु वासुपूज्य, बुधग्रह के लिए मल्लिनाथ, गुरुग्रह…