श्री अनंतजिन स्तुति (हिन्दी काव्य)
श्री अनंतजिन स्तुति (हिन्दी काव्य) हे नाथ! अनंत गुणाकर तुम, साकेतपुरी में जन्म लिया। जयश्यामा माँ सिंहसेन पिता, ने कीर्तिध्वजा को लहराया।। कार्तिक वदि एकम गर्भ बसे, वदि ज्येष्ठ दुवादशि जन्मे थे। इस ही तिथि में दीक्षा लेकर, तप तपते वन वन घूमे थे।।१।। चैत्री मावस में ज्ञानोत्सव, इस ही तिथि में प्रभु सिद्ध हुए।…