भजन
भजन…….. तर्ज—धरती का……. सन्तों का तुम्हें नमन है, युग पुरुषों का वन्दन है। प्रथमाचार्य शांतिसागर को, सौ सौ बार नमन है।। सौ सौ बार नमन है-२।। टेक.।। आदिनाथ से महावीर तक जिनचर्या बतलाई। कुन्दकुन्द ने उसी तरह की मुनिचर्या अपनाई।। शांतिसिन्धु भी उसी श्रृंखला के ही लघुनन्दन हैं। सौ सौ बार नमन है………।।१।। दक्षिण भारत…