तीर्थंकर ऋषभदेव के दश अवतार
तीर्थंकर ऋषभदेव के दश अवतार –मंगलाचरण- त्वमेकं जगतां ज्योतिस्त्वं द्विरुपोपयोगभाक्। त्वं त्रिरूपैकमुत्त्âयंग: स्वोत्थानंतचतुष्टय:।।१।। त्वं पंचब्रह्मतत्त्वात्मा पंचकल्याणनायक:। षड्भेदभावतत्त्वज्ञस्त्वं सप्तनयसंग्रह:।।२।। दिव्याष्टगुणमूर्तिस्त्वं नवकेवललब्धिक:। दशावतारनिर्धार्यो मां पाहि परमेश्वर!१।।३।। हे भगवन्! आप जगत् को प्रकाशित करने वाले जगज्योतिस्वरूप एक हैं, ज्ञान तथा दर्शनरूप द्विविध उपयोग के धारक होने से दो रूप हैं, सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्ररूप त्रिविध मोक्षमार्गमय होने से तीन…