अभय गीतांजलि
अभय गीतांजलि साहित्य शृँखला को क्रम-क्रम से आगे बढ़ाते हुए पूज्य आर्यिका श्री अभयमती माताजी ने सन् १९८६ में अभय गीतांजलि का प्रथम पुष्प लिखकर प्रदान किया। इसमें सर्वप्रथम मंगलाचरण करते हुए लिखा है- चौबीसों जिनदेव को, नमन करूँ शत बार। सरस्वती वाणी अमल, वंदूँ बारम्बार।।१।। सब गुरुवर को नमन कर, शांतिसिंधु शिरनाय। धर्म सिंधु…