शुद्ध निश्चय प्रायश्चित्त अधिकार
शुद्ध निश्चय प्रायश्चित्त अधिकार मंदाक्रांता-प्रायश्चित्तं भवति सततं स्वात्मचिंता मुनीनां मुक्तिं यांति स्वसुखरतयस्तेन निर्द्धूतपापा:। अन्या िंचता यदि च यमिनां ते विमूढा: स्मरार्त्ता: पापा: पापं विदधति मुहु: िंक पुनश्चित्रमेतत्।।१८०।। अर्थ-मुनियों को जो सतत अपने आत्मस्वरूप का चिंतवन होता है वही प्रायश्चित्त है क्योंकि स्वसुख में रति करने वाले मुनिराज उसके द्वारा पापों का क्षालन करके मुक्ति को…