श्री ऋषभदेव के पुत्र ‘भरत’ से ‘भारत’
श्री ऋषभदेव के पुत्र ‘भरत’ से ‘भारत’ अंसावलंबिना ब्रह्मसूत्रेणासौ दधे श्रियम्। हिमाद्रिरिव गांङ्गेन स्रोतसोत्संगसंगिनाम्।।१९८।। (महापुराण पर्व १५) तन्नाम्ना भारतं वर्षमिति हासीज्जनास्पदं। हिमाद्रेरासमुद्राच्च क्षेत्रं चक्रभृतामिदं।।१५९।। (महापुराण पर्व १५) यही बात महापुराण में वर्णित है-‘‘कंधे पर लटकते हुये ‘यज्ञोपवीत’ से वे भरत सुशोभित हो रहे थे।’’ इन भरत के नाम से ही यह देश ‘भारत’ इस नाम…