श्री चन्द्रप्रभु चालीसा
श्री चन्द्रप्रभु चालीसा -दोहा- वीतराग-सर्वज्ञ अरु, हित उपदेशी जान। वे ही सच्चे देव हैं, उनको करूँ प्रणाम।।१।। -चौपाई- जय जय चन्द्रप्रभू जिनराजा, चन्द्रपुरी के तुम अधिराजा।।१।। फिर भी त्रिभुवनपति कहलाते, देवों द्वारा पूज्य कहाते।।२।। चन्द्र किरण सम जगमग-जगमग, रूप तुम्हारा अतिशय सुन्दर।।३।। पंचकल्याणक के तुम स्वामी, तुम हो अद्भुत महिमाशाली।।४।। एक दिवस सुरपति शचि के…