श्री गणधरदेव स्तोत्र (२) (चौबीस तीर्थंकर के १४५९ गणधरदेव स्तोत्र)
श्री गणधरदेव स्तोत्र (२) (चौबीस तीर्थंकर के १४५९ गणधरदेव स्तोत्र) —गीता छंद— गणधर बिना तीर्थेश की, वाणी न खिर सकती कभी। प्रभु पास में दीक्षा ग्रहें, गणधर भि बन सकते वही।। तीर्थेश की ध्वनि श्रवणकर, उन बीज पद के अर्थ को। जो ग्रथें द्वादश अंगमय, मैं नमूं उन गणनाथ को।।१।। श्री ऋषभदेव जिनेन्द्र के, चौरासि…