महाव्याधि विनाशक श्री मृत्युंजय विधान
महाव्याधि विनाशक श्री मृत्युंजय विधान तर्ज-जन्म मानव का पाया है जो….. यह तो जिनवर का दरबार है, यहाँ भक्ति तो करना पड़ेगा। मन में यदि भक्ति की शक्ति है, तन से व्याधि को भगना पड़ेगा।।टेक.।। आज कलियुग का अभिशाप है, हिंसा का जग में साम्राज्य है। पैâला आतंक अन्याय है, केवल प्रभु भक्ति आधार है।।…