लवणसमुद्र के अंदर लंकानगरी में जिनमंदिर (पद्मपुराण ग्रंथ से१)
लवणसमुद्र के अंदर लंकानगरी में जिनमंदिर (पद्मपुराण ग्रंथ से) उस धार्मिक रुचि के कारण दोनों को जाति-स्मरण भी हो गया। तदनन्तर श्रद्धा से भरे मेघवाहन और सहस्रनयन अजितनाथ भगवान् की इस प्रकार स्तुति करने लगे।।१४२।। हे भगवन् ! जो बुद्धि से रहित हैं तथा जिनका कोई नाथ-रक्षक नहीं है ऐसे संसारी प्राणियों का आप बिना…