तीस चौबीसी पूजा
तीस चौबीसी पूजा…. -गीता छंद- मंगलमयी सब लोक में, उत्तम शरण दाता तुम्हीं। वर तीस चौबीसी जिनेश्वर, सात शत औ बीस ही।। नर लोक में ये भूत संप्रति, भावि तीर्थंकर कहे। पण भरत पण ऐरावतों में, पंचकल्याणक लहें।।१।। -दोहा- आवो आवो नाथ! अब यहाँ विराजो आन। आह्वानन विधि से सदा, मैं पूजूँ अघ हान।।२।। ॐ…