विदेहक्षेत्र में भी णमोकार महामंत्र है
विदेहक्षेत्र में भी णमोकार महामंत्र है (आदिपुराण ग्रंथ से) आरूह्याराधनानावं तितीर्षुर्भवसागरम्। निर्यापकं स्वयंबुद्धं बहु मेने महाबल:।।२३१।। अर्थ–वह महाबल आराधना रूपी नाव पर आरूढ़ होकर संसार रूपी सागर को तैरना चाहता था इसलिए उसने स्वयंबुद्ध मंत्री को निर्यापकाचार (सल्लेखना की विधि करने वाले आचार्य, पक्ष में-नाव चलाने वाला खेवटिया) बनाकर उसका बहुत ही सम्मान किया। मूर्ध्नि…