प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर परम्पराचार्य वंदना
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर परम्पराचार्य वंदना अनुष्टुप् छंद- नमो वृषभसेनादि गौतमान्त्यगणेशिने। मूलोत्तरगुणाढ्याय, सर्वस्मै मुनये नम:।।१।। बसंततिलका छंद- श्रीशान्तिसागर! मुनीन्द्र! नमोऽस्तु तुभ्यं, सूरिस्त्वमेव प्रथम: किल संप्रतीह। पट्टाधिप: प्रथम एव च य: प्रसिद्ध:, तं वीरसागरगुरुं प्रणमामि भक्त्या।।२।। तुभ्यं नमोऽस्तु शिवसागर सूरिवर्य! श्री धर्मसिन्धु मुनिनाथ! नमोऽस्तु तुभ्यं। ख्यातो जगत्यजितसागरजातरूप:। श्रेयांससागरमुनीन्द्र! नमोऽस्तु तुभ्यं।।३।। अनुष्टुप् छंद- षष्ठ: पट्टाधिपोमान्यो, योऽभिनन्दनसागर:। भक्त्या नमामि…