श्री चौबीस जिनस्तुति
श्री चौबीस जिनस्तुति…… श्री चौबीसों तीर्थंकर ही, भव्यों के शिव पथ नेता हैं। वे कर्म अचल के भेत्ता हैं, त्रिभुवन के ज्ञाता दृष्टा हैं।। मैं उनको पुन: पुन: प्रणमूँ, नितप्रति ध्याऊँ औ गुण गाऊँ। यावत् नहिं सिद्धि मिले तावत्, जिन चरणों में ही रम जाउ।।१।। चन्द्रप्रभु पुष्पदंत शशि सम, छवि पार्श्व सुपार्श्व हरित तनु हैं।…