भगवान श्री पद्मप्रभ जिनपूजा
भगवान श्री पद्मप्रभ जिनपूजा -अथ स्थापना- पद्म प्रभू जिन मुक्तिरमा के नाथ हैं। श्री आनन्त्य चतुष्टय सुगुण सनाथ हैं।। गणधर मुनिगण हृदय कमल में धारते। आह्वानन कर जजत कर्म संहारते।।१।। ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव…