जिनमंदिर में भगवान के अभिषेक का एवं घंटा लगाने का पुण्य
जिनमंदिर में भगवान के अभिषेक का एवं घंटा लगाने का पुण्य घंटाहिं घंटसद्दाउलेसु पवरच्छराणमज्झम्मि। संकीडइ सुरसंघायसेविओ वरविमाणेसु।।४८९।। अर्थ-जिनमन्दिर में घंटा समर्पण करने वाला पुरुष घंटाओं के शब्दों से आकुल अर्थात् व्याप्त, श्रेष्ठ विमानों में सुर समूह से सेवित होकर प्रवर–अप्सराओं के मध्य में क्रीड़ा करते हैं।।४८९।। (वसुनंदि श्रावकाचार) अहिसेयफलेण णरो अहिसिंचिज्जइ सुदंसणस्सुवरिं। खीरोयजलेण सुरिंदप्पमुहदेवेहिं भत्तीए।।४९१।।…