गणिनी आर्यिका स्तोत्र
गणिनी आर्यिका स्तोत्र (समवसरणस्थित गणिनी सहित पचास लाख, छप्पन हजार, दो सौ पचास सर्व आर्यिका वंदना) —गीता छंद— तीर्थंकरों के समवसृति में, आर्यिकायें मान्य हैं। ब्राह्मी प्रभृति से चंदना तक, सर्व में हि प्रधान हैं।। व्रतशील गुण से मंडिता, इंद्रादि से पूज्या इन्हें। वंदामि करके मैं नमूं, त्रयरत्न से युक्ता तुम्हें।।१।। —चौबोल छंद— ऋषभदेव के…