नन्दीश्वरद्वीप जिनालय वंदना-4
नन्दीश्वरद्वीप जिनालय वंदना-4 -रोला छंद- जय जय अष्टम द्वीप, चारों दिश में जानों। इकसौ त्रेसठ कोटि, लाख चुरासी मानो।। इतने योजन मान, विस्तृत चारों दिशि है। तेरह तेरह अद्रि, मानें चारों दिशि है।।१।। गोलाकार महान, वेदी उपवन सोहें। सुरनर किन्नर आन, जिनगुण से मन मोहें।। ज्योतिष व्यंतर देव, भावन सुरगण आवें। विविध कुसुम की माल,…