श्री सुमतिजिन स्तुति (हिन्दी काव्य)
श्री सुमतिजिन स्तुति (हिन्दी काव्य) जिनके वक्त्राम्बुज से निकली, दिव्यध्वनि अमृतरस झरिणी। जो चित्तकुमति हरणी मन में, चैतन्य सुधारस की भरणी।। उन सुमतिनाथ को वंदूँ मैं, वे ज्ञान ज्योति आनन्दघन हैं। निज शुद्धात्मा को ध्या ध्याकर, कर्मारिनाश शिवधाम रहें।।१।। यह आत्मा सिद्ध सदृश मेरी, चिच्चैतन्यामृत पूर्ण भरी। यह ज्ञानानंद स्वभावमयी, प्रभु ने मुझमें ये सुमति…