जन्मकल्याणक स्तोत्र
जन्मकल्याणक स्तोत्र —शंभु छंद— जिन गर्भागम से छह महिने, पहले सुरपति की आज्ञा से। नगरी को सुंदर बना धनद, माँ आंगन रतन सु बरसाते।। तिथि चैतवदी नवमी उत्तराषाढ़ा, नक्षत्र में प्रभु जन्में। सुरगिरि पर न्हवन हुआ जिनका, उन ‘ऋषभदेव’ को आज नमें।।१।। श्री आदि देवियाँ माता की, सेवा करती अति भक्ती से। अति गूढ़ प्रश्न…