आचार्य श्री वीरसागर स्तुति
आचार्य श्री वीरसागर स्तुति -दोहा- भववारिधि में भव्य के, कर्णधार आचार्य। भक्ति भाव से मैं नमूँ, होवो मम आधार्य।।१।। -स्रग्विणी छंद- मैं नमूँ मैं नमूँ मैं नमूँ सूरि को। पाप संताप मेरा सबे दूर हो।। सूरि! तेरे बिना कोई ना आपना। शीघ्र संसार वाराशि से तारना।।२।। शांतिसिंधु गुरु प्रथम सूरी हुए। बीसवीं सदि के अग्रणी…