भजन
भजन……. रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—धीरे-धीरे बोल कोई….. दर्शन कर लो जिनवर का, उपवासों का फल मिलता। करो वन्दन प्रभु के सामनें, मनवाञ्छित कार्य सभी बने।।दर्शन….।। जैसे सूरज अंधकार जग का हरे। हर मानव के मन में उजियाला भरे।। वैसे ही जिनसूर्य तिमिर मन का हरे। सम्यग्दर्शन का प्रकाश मन में भरे।। जिनचन्द्र का, जिनसूर्य का-२,…