श्री श्रेयांसनाथ वन्दना
श्री श्रेयांसनाथ वन्दना -अडिल्लछंद- श्री श्रेयांस जिन मुक्ति रमा के नाथ हैं। त्रिभुवन पति से वंद्य त्रिजग के नाथ हैं।। गणधर गुरु भी नमें नमाकर शीश को। मैं भी रुचि से नमूँ नमाऊँ शीश को।।१।। -नरेंद्र छंद- चिन्मय ज्योति चिदंबर चेतन, चिच्चैतन्य सुधाकर। जय जय चिन्मूरति चिंतामणि, चिंतितप्रद रत्नाकर।। आप अलौकिक कल्पवृक्ष प्रभु, मुंह मांगा…