श्री ऋषभदेव वन्दना
श्री ऋषभदेव वन्दना -गीता छंद- हे आदिब्रह्मा! युगपुरुष! पुरुदेव! युगस्रष्टा तुम्हीं। युग आदि में इस कर्मभूमी, के प्रभो! कर्ता तुम्हीं।। तुम ही प्रजापतिनाथ! मुक्ती के विधाता हो तुम्हीं। मैं भक्ति से वंदन करूं, मन वचन तन से नित यहीं।।१।। -शंभु छंद- श्री वृषभसेन आदिक चौरासी, गणधर मुनि चौरासि सहस। ब्राह्मी गणिनी त्रय लाख पचास, हजार…