सिद्ध परमेष्ठी स्तोत्रा
सिद्ध परमेष्ठी स्तोत्रा -गीता छन्द- श्री सिद्ध परमेष्ठी अनन्तानन्त त्रौकालिक कहे। त्रिभुवन शिखर पर राजते, वह सासते स्थिर रहें।। वे कर्म आठों नाश कर, गुण आठ ध्र कृतकृत्य हैं। कर जोड़ भक्ती से नमूं, उनकों नमें नित भव्य हैं।।1।। -दोहा- ‘सिद्ध परमेष्ठी मात्रा दो शब्द के उच्चारण से जान। सर्व कार्य की सि( हो क्रमशः पद…