गंगा कूट का चित्रन
गंगा कूट का चित्रन
गंगा कुण्ड का वर्णन हिमवान् पर्वत के नीचे पृथ्वी पर साठ योजन विस्तृत, समवृत्त, दस योजन गहरा, मणिमय सीढ़ियों से युक्त एक कुण्ड है। वह कुण्ड चार तोरण और वेदिका से युक्त है। उसके बहुमध्य भाग में रत्नों से विचित्र, चार तोरण एवं वेदिकाओं से शोभायमान एक द्वीप है। वह द्वीप जल के मध्य में…
गंगा नदी का वर्णन पद्म सरोवर की पूर्व दिशा से गंगा एवं पश्चिम दिशा से सिंधु नदी निकलती है। उद्गम स्थान में गंगा नदी का विस्तार छह योजन एक कोस है इस नदी के निर्गमन स्थान में नौ योजन डेढ़ कोस ऊँचा दिव्य तोरण है। इस तोरण द्वार का चामर, घंटा, िंककणी और सैकड़ों वंदनमालाओं…
जिन मंदिरों का वर्णन इन कमल पुष्पों पर जितने भवन कहे गए हैं उतने ही वहाँ पर विविध प्रकार के रत्नों से निर्मित जिनगृह भी हैं। ये जिनभवन नाना प्रकार के तोरण द्वारों से सहित झारी, कलश, दर्पण, घंटा एवं ध्वजा आदिकों से परिपूर्ण हैं। इनमें उत्तम चामर, छत्र, सिंहासन, भामंडल, पुष्पवृष्टि आदि से संयुक्त…
कमल का वर्णन इस तालाब के मध्य में ब्यालीस कोस ऊँचा, एक कोस मोटा कमल का नाल है इसका मृणाल रजतमय है और तीन कोस मोटाई वाला है। इस कमल का कंद, अरिष्ट रत्नमय और नाल वैडूर्य मणि से निर्मित है। इसके ऊपर चार कोस ऊँचा किंचित् विकसित पद्म है। कर्णिका की ऊँचाई और लम्बाई…
पद्म सरोवर का वर्णन इस हिमवान् पर्वत के मध्य में पूर्व-पश्चिम से एक हजार योजन लंबा पाँच सौ योजन चौड़ा एक सरोवर है जिसे पद्मद्रह कहते हैं। यह सरोवर दस योजन गहरा और चार तोरण द्वार एवं वेदिकाओं से संयुक्त है। इस सरोवर में एक योजन ऊँचाई व विस्तार वाला, जल से आधा योजन ऊँचा…
शेष कूटों का वर्णन हैमवत्, भरत, हिमवान् और वैश्रवण नाम के कूटों पर अपने-अपने कूटों के नाम वाले देव तथा शेष कूटों पर अपने-अपने कूटों के नाम वाली देवियाँ रहती हैं यथा- सिद्धकूट – जिन भवन हिमवान् – हिमवान् देव का भवन। भरत – भरतदेव हैमवत् – हैमवत देव वैश्रवण – वैश्रवण देव इला –…
जिनभवन का वर्णन इस जिन भवन की लम्बाई ५० योजन,चौड़ाई २५ योजन और ऊँचाई ३७-१/२ योजन है। जिन भवन में तीन द्वार हैं। पूर्व मुख द्वार की ऊँचाई ८ योजन, विस्तार एवं प्रवेश ४ योजन है शेष दो द्वारों की ऊँचाई व चौड़ाई इससे आधी है। यथा- पूर्व मुख द्वार ऊँचाई ८ योजन विस्तार ४…
हिमवान् पर्वत के ११ कूटों का वर्णन पर्वत पर पूर्व दिशा से लेकर क्रमश: सिद्धकूट, हिमवान् कूट, भरत, इला, गंगा, श्री, रोहितास्या, सिन्धु, सुरा, हैमवत, और वैश्रवण ये ११ कूट हैं। इनमें से प्रत्येक कूट की ऊँचाई और मूल में विस्तार पच्चीस योजन है। ऊपर का विस्तार १२-१/२ योजन है। और मध्य में विस्तार १८…
हिमवन् पर्वत का वर्णन भरत क्षेत्र के विस्तार से दूने विस्तार वाला हिमवन् पर्वत है यह सौ योजन ऊँचा है एवं सुवर्णमयी है। हिमवन् पर्वत की ऊँचाई १०० यो., चौड़ाई १०५२-१२/१९ यो., लम्बाई पूर्व-पश्चिम लवण समुद्र तक एवं वर्ण-सुवर्णमय हैै। भूमितल पर हिमवन् पर्वत के सदृश लम्बी उसकी दो तट वेदियाँ हैं, ये वेदियाँ दो…