देवों के शरीर की अवगाहना
देवों के शरीर की अवगाहना असुरकुमारों के शरीर की ऊँचाई – २५ धनुष
देवों के शरीर की अवगाहना असुरकुमारों के शरीर की ऊँचाई – २५ धनुष
देवियों की आयु चमरइंद्र की देवियों की आयु – २-१/२ पल्योपम वैरोचन की देवियों की आयु – ३ पल्योपम भूतानंद की देवियों की आयु – १/८ पल्योपम धरणानंद की देवियों की आयु – कुछ अधिक १/८ पल्योपम वेणु की देवियों की आयु – ३ पूर्व कोटि वेणुधारी देवियों की आयु – कुछ अधिक ३ पूर्वकोटि…
देवों की आयु का वर्णन चमर, वैरोचन की आयु – १ सागरोपम भूतानंद, धरणानंद की आयु – ३ पल्योपम वेणु, वेणुधारी की आयु – २-१/२ पल्योपम पूर्ण, वसिष्ठ की आयु – २ पल्योपम जलप्रभ आदि शेष १२ इंद्रों की आयु – १ पल्योपम
इंद्रों का वैभव ये इंद्र लोग भक्ति से पंचकल्याणकों के निमित्त ढाई द्वीप में एवं जिनेंद्र भगवान की पूजन के निमित्त नंदीश्वर द्वीप आदि पवित्र स्थानों में जाते हैं शीलादि से संयुक्त किन्हीं मुनिवर आदि की पूजन या परीक्षा के निमित्त एवं क्रीड़ा के लिए यथेच्छ स्थान पर आते-जाते हैं। ये असुरकुमार आदि देव स्वयं…
देवों के शरीर के वर्ण असुरकुमार के शरीर का वर्ण काला, नागकुमार के शरीर का वर्ण अधिक काला, गरुड़ और द्वीपकुमार का काला, उदधिकुमार और स्तनितकुमार का अधिक काला, विद्युत्कुमार का बिजली के सदृश, दिक्कुमार का काला वर्ण, अग्निकुमार का अग्नि की कांति के सदृश एवं वायुकुमार देव का नील कमल के सदृश वर्ण है।
देवों के उच्छ्वास का वर्णन चमर और वैरोचन इंद्र १५ दिन में उच्छ्वास लेते हैं। भूतानंद आदि ६ इंद्र १२-१/२ मुहूर्त में, जलप्रभ आदि ६ इंद्र ६-१/२ मुहूर्त में उच्छ्वास लेते हैं। जो देव १० हजार वर्ष की आयु वाले हैं। उनके ७ श्वासोच्छ्वास प्रमाण काल के बाद एवं पल्योपम प्रमाण आयु धारक देवों के…
मानसिक आहार का वर्णन इंद्र और प्रतीन्द्र आदि देव तथा इनकी देवियों का अति स्निग्ध, अनुपम, अमृतमय आहार होता है। चमर और वैरोचन इन दो इंद्रों के १००० वर्ष के बाद आहार ग्रहण होता है। इसके आगे भूतानंद आदि छह इंद्रों के साढ़े बारह दिनों में आहार होता है। जलप्रभ आदि छह इंद्रों के १२…
इन्द्रों की देवियों की संख्या चमरेन्द्र के कृष्णा, रत्ना, सुमेघा, सुका और सुकाता ये पाँच अग्रमहिषी-महादेवियाँ हैं। इन महादेवियों में प्रत्येक के ८००० परिवार देवियाँ है। इस प्रकार से परिवार देवियाँ ४०००० प्रमाण हैं। ८०००²५·४००००। ये पाँचों महादेवियाँ विक्रिया से अपने आठ-आठ हजार रूप बना सकती हैं। इस इंद्र के १६००० वल्लभा देवियाँ हैं। वल्लभा…
पारिषद देव चमर इन्द्र के अभ्यन्तर पारिषद – २८००० वैरोचन के अभ्यन्तर पारिषद – २६००० भूतानंद के अभ्यन्तर पारिषद – ६००० शेष १७ के चार-चार हजार हैं। १७²४०००·६८००० २८०००±२६०००±६०००±६८०००·१२८००० चमर इन्द्र के मध्यम पारिषद – ३०००० वैरोचन के मध्यम पारिषद – २८००० भूतानंद के मध्यम पारिषद – ८००० शेष १७ के आठ-आठ हजार (६०००²१७) ३००००±२८०००±८०००±(६०००²१७)·१६८०००…
परिवार देवों का वर्णन प्रत्येक इन्द्र के परिवार देव दस प्रकार के हैं-प्रतीन्द्र, त्रायिंस्त्रश, सामानिक, लोकपाल, तनुरक्षक (आत्मरक्षक), तीन पारिषद, सात अनीक, प्रकीर्णक, आभियोग्य और किल्विषक। इनमें से इन्द्र राजा के सदृश, प्रतीन्द्र युवराज के सदृश, त्रायिंस्त्रश देव पुत्र के सदृश, सामानिक देव पत्नी के तुल्य, चारों लोकपाल तंत्रपालों के सदृश और सभी तनुरक्षक देव…