श्री वासुपूज्य वदना
श्री वासुपूज्य वदना -गीता छंद- श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्र वासव१-गणों से पूजित सदा। इक्ष्वाकुवंश दिनेश काश्यप-गोत्र पुंगव शर्मदा।। सप्तर्द्धिभूषित गणधरों से, पूज्य त्रिभुवन वंद्य हैं। मैं भी करूं वंदन यहाँ, मिट जायेगा भव फंद है।।१।। -शेरछंद- प्रभु दर्शमोहनीय को निर्मूल किया है। सम्यक्त्व क्षायिकाख्य को परिपूर्ण किया है।। चारित्र मोहनीय का विनाश जब किया। क्षायिक चरित्र नाम…