श्री सुमतिनाथ वन्दना
श्री सुमतिनाथ वन्दना -गीता छंद- श्रीसुमति तीर्थंकर जगत में, शुद्धमति दाता कहे। निज आतमा को शुद्ध करके, लोक मस्तक पर रहें।। मुनि चार ज्ञानी भी सतत, वंदन करें संस्तवन करें। हम भक्ति से नितप्रति यहाँ, प्रभु पद कमल वंदन करें।।१।। -नाराचछंद- नमो नमो जिनेन्द्रदेव! आपको सुभक्ति से। मुनीन्द्रवृंद आप ध्याय कर्मशत्रु से छुटें।। अनाथ नाथ!…