कृत्रिम जिनालय स्तोत्र
कृत्रिम जिनालय स्तोत्र -नरेन्द्र छंद- ढाई द्वीप में पाँच भरत हैं पाँच कहे ऐरावत। पाँच महाविदेह क्षेत्रों में कर्मभूमि है शाश्वत।। सुर नर निर्मापित बहु पूजित मुनि गण से नित वंदित। जिनप्रतिमा जिनमंदिर अगणित वंदूँ भाव सहित नित।।१।। -दोहा- गणधर मुनिगण इंद्रगण, नित्य नमें नतशीश। मन वच तन से भक्ति से, नमूँ नमूँ जगदीश।।२।। -नरेन्द्र…