सिद्ध परमेष्ठी स्तोत्रा
सिद्ध परमेष्ठी स्तोत्रा -दोहा- पुद्गल के संबंध् से, हीन स्वयं स्वाध्ीन। नमूँ नमूँ सब सि( को, तिन पद भक्ति अध्ीन।।1।। चाल-हे दीन……………. जय जय अनंत सि( वंृद मुक्ति के कंता। जय जय अनंत भव्यवृंद सि(ि करंता। जय जय त्रिलोक अग्रभाग ऊध्र्व राजते। जय नाथ! आप में हि आप नित्य राजते।।2।। ज्ञानावरण के पाँच भेद को विनाशिया।…