पंचपरमेष्ठी स्तोत्र (लघु)
पंचपरमेष्ठी स्तोत्र (लघु) अरहंत परमेष्ठी स्तोत्रा -दोहा- श्री अरिहंत जिनेन्द्र का, ध्रूँ हृदय में ध्यान। मन वच तन से नित नमूं हरूँ सकल अपध्यान।।1।। -शंभु छंद- जय जय प्रभु तीर्थंकर जिनवर, तुम समवसरण में राज रहे। जय जय अर्हत् लक्ष्मी पाकर, निज आतम में ही आप रहे।। जन्मत ही दश अतिशय होते, तन में न…