अनेकांतसागर जी महाराज की मंगल आरती
सप्तम पट्टाचार्य श्री १०८ अनेकांतसागर जी महाराज की मंगल आरती मैं तो आरती उतारूँ रे, अनेकांत सूरी की, जय जय आचार्यप्रवर, जय जय जय-२।।टेक.।। गोटेगांव के दीपक कुमार, बने बाल ब्रह्मचारी…बने बाल ब्रह्मचारी मन में जागी उमंग अपार, देखूँ ज्ञान फुलवारी।।…..देखूँ ज्ञान फुलवारी भाई-बहन छोड़कर, बंधन को तोड़कर, दीपक चले गृहत्याग…….हो हो हो…..दीपक चले गृहत्याग।।…