कैलाश पर्वत पर भरतचक्री द्वारा बनवाये गये मंदिर (उत्तरपुराण से)
कैलाश पर्वत पर भरतचक्री द्वारा बनवाये गये मंदिर (उत्तरपुराण से) राज्ञाप्याज्ञापिता यूयं केलासे भरतेशिना। गृहाः कृता महारत्नैश्चतुर्विंशतिरर्हताम्१।।१०७।। तेषां गङ्गां प्रकुर्वीध्वं परिखां परितो गिरिम्। इति तेऽपि तथा कुर्वन् दण्डरत्नेन सत्वरम्।।१०८।। आत्मशुद्धि से भरे सगर चक्रवर्ती के पुत्रों ने कहा कि यदि आप हम लोगों को कोई कार्य नहीं देते हैं तो हम भोजन भी नहीं करते…