नवग्रहशांतिकर ९ तीर्थंकरों की स्तुति
नवग्रहशांतिकर ९ तीर्थंकरों की स्तुति श्री पद्मप्रभ स्तुति (सूर्य ग्रहारिष्ट निवारक) तव विश्ववंद्य चरणारविंद, संकल्पमात्र शुभ फलदायक। गणधर मुनिगण नुत देव! सदा, मनवचतन से प्रणमूँ सुखप्रद।। तव पादयुगल की भक्ती से, मानव संसार जलधि तिरते। पद्मा से आलिंगित मूर्ति, पद्मप्रभ! मुझको सम कीजे।।१।। कौशाम्बी के नृप ‘धरण’ पिता, औ प्रसू सुसीमा ख्यात जगत्। इक्ष्वाकुवंश के…