चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत…. चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत पूजा चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण स्तुति चतुर्गति भ्रमण निवारण स्तुति विषापहार स्तोत्र
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विषापहार स्तोत्र… -मन्दाक्रान्ता छंद- स्वात्मस्थित: सर्वगत: समस्त-व्यापारवेदी विनिवृत्तसंग:। प्रवृद्धकालोप्यजरो वरेण्य:, पायादपायात्पुरुष: पुराण:।।१।। परैरचिन्त्यं युगभारमेक:, स्तोतुं वहन्योगिभिरप्यशक्य:। स्तुत्योऽद्य मेऽसौ वृषभो न भानो:, किमप्रवेशे विशति प्रदीप:।।२।। तत्याज शव्रâ: शकनाभिमानं, नाहं त्यजामि स्तवनानुबंधम्। स्वल्पेन बोधेन ततोऽधिकार्थं, वातायनेनेव निरूपयामि।।३।। त्वं विश्वदृश्वा सकलैरदृश्यो, विद्वानशेषं निखलैरवेद्य:। वक्तुं कियान्कीदृश इत्यशक्य:, स्तुतिस्ततोऽशक्तिकथा तवास्तु।।४।। व्यापीडितं बालमिवात्मदोषै-रुल्लाघतां लोकमवापिपस्त्वम्। हिताहितान्वेषणमान्द्यभाज:, सर्वस्यजन्तोरसि बालवैद्य:।।५।। दाता न हर्ता दिवसं…
चतुर्गति भ्रमण निवारण स्तुति -गणिनी ज्ञानमती —स्रग्विणी छन्द— (चाल-नाथ तेरे कभी…..) देव त्रैलोक्य के पूर्ण चंदा तुम्हें। मैं नमूँ मैं नमूँ हे जिनन्दा तुम्हें।। नाथ! मेरी हरो जन्म व्याधी व्यथा। मैं सुनाऊँ तुम्हें संसरण की कथा।।१।। मैं निगोदी रहा काल आनन्त्य ना। एक इन्द्रीय भू अग्नि वायू बना।। नाथ! मेरी हरो जन्म व्याधी व्यथा। मैं…
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण स्तुति (मेरी अन्तर्भावना) -आर्यिका चन्दनामती तर्ज-सन्त साधु बनके बिचरूँ………… मनुज तन से मोक्ष जाने की घड़ी कब आएगी। हे प्रभो! पर्याय मेरी कब सफल हो पाएगी।।टेक.।। जैसे सागर में रतन का एक कण गिर जावे यदि। खोजने पर भी है दुर्लभ वह भी मिल जावे यदि।। किन्तु भव सागर में…
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत पूजा रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती -स्थापना- जिनने मुनि बनकर तप करके, कर्म घातिया नाश किया। पुन: अघाति कर्म नाश कर, सिद्ध शिला पर वास किया।। तीन लोक की चौरासीलख, योनी भ्रमण समाप्त किया। उन भगवन्तों की पूजन का, मैंने भी शुभ भाव किया।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, कर पूजूँ प्रभु पाद।…
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत अनादिकाल से सभी संसारी प्राणी चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण करते आ रहे हैंं। उन चौरासी लाख योनि के परिभ्रमण से छूटने के लिए यह ‘‘चौरासी लाख योनिपरिभ्रमण निवारण व्रत’’ है। इस व्रत के करने से व प्रतिदिन इन योनियों के परिभ्रमण से छूटने की भावना करते रहने से…
दैनिक अभिषेक एवं नवदेवता पूजन….. 1. मंगलाष्टक 2. पंचामृत अभिषेक पाठ 3. पूजामुख विधि 4. पंचामृत अभिषेक पाठ 5. शांतिधारा 6. पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा (अंग्रेजी) 7. नवदेवता पूजन (हिन्दी, संस्कृत, मराठी, अंग्रेजी) 8. पूजा अन्त्य विधि 9. ज्येष्ठ जिनवर अभिषेक (अंग्रेजी) 10. चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर महाराज एवं परम्पराचार्यों के अर्घ्य 11. नवदेवता आरती …
पंचपरमेष्ठी की आरती तर्ज – चांदनपुर के गाँव में बुला ले सांवरिया………. घृत दीपक का थाल ले, उतारूँ आरतिया, मैं तो पाँचों परमेष्ठी की। पाँचों परमेष्ठी की एवं चौबीसों जिनवर की।।घृत दीपक.।।टेक.।। समवसरणयुत अरिहंतों की, सिद्धशिला के सिद्धों की-२ भवदुख नाशन हेतु ही, उतारूँ आरतिया, मैं तो पाँचों परमेष्ठी की।।१।। परमेष्ठी आचार्य उपाध्याय, साधु मोक्षपथगामी…
नवदेवता आरती… रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती ॐ जय नवदेव प्रभो, स्वामी जय नवदेव प्रभो। शरण तुम्हारी आए, आरति हेतु प्रभो।। ॐ जय.।। श्री अरिहंत जिनेश्वर, प्रथम देव माने। स्वामी प्रथम…….. दूजे देव कहाते, सिद्धशिला स्वामी।। ॐ जय…..।।१।। चउसंघ नायक सूरी, तृतिय देवता हैं। स्वामी तृतिय…… चौथे देव कहाए, उपाध्याय मुनि हैं।। ॐ जय…….।।२।। सर्वसाधु हैं पंचम,…
चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर महाराज एवं परम्पराचार्यों के अर्घ्य…. चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर परम्पराचार्य अर्घ्य सदी बीसवीं के श्री प्रथमाचार्य शान्तिसागर को नमन। वीर सिन्धु-शिव-धर्म-अजित-श्रेयांस व अभिनंदन को नमन।। अनेकान्तसागराचार्य सप्तम सूरीश्वर को वन्दन। सब आचार्यों के श्रीचरणों में मैं अर्घ्य करूँ अर्पण।। ॐ ह्रीं प्रथमाचार्यश्रीशांतिसागर-वीरसागर-शिवसागर-धर्मसागर-अजितसागर-श्रेयांससागर-अभिनंदनसागर-वर्तमान सप्तमपट्टाचार्य श्रीअनेकांत-सागरादि समस्त परम्पराचार्येभ्यो अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। प्रथमाचार्य श्री…