सूर्य के १८४ गलियों के उदय स्थान
सूर्य के १८४ गलियों के उदय स्थान सूर्य के उदय निषध और नील पर्वत पर ६३, हरि और रम्यक क्षेत्रों में २ तथा लवण समुद्र में ११९ हैं। ६३ ± २ ± ११९ · १८४ हैं। इस प्रकार १८४ उदय स्थान होते हैं।
सूर्य के १८४ गलियों के उदय स्थान सूर्य के उदय निषध और नील पर्वत पर ६३, हरि और रम्यक क्षेत्रों में २ तथा लवण समुद्र में ११९ हैं। ६३ ± २ ± ११९ · १८४ हैं। इस प्रकार १८४ उदय स्थान होते हैं।
दक्षिणायन एवं उत्तरायण का क्रम जब सूर्य श्रावण कृष्णा १ के दिन प्रथम गली में रहता है तब दक्षिणायन होता है एवं उसी वर्ष माघ कृष्णा ७ को उत्तरायन है। तथैव दूसरी वर्ष— श्रावण कृष्णा १३ को दक्षिणायन एवं माघ शुक्ला ४ को उत्तरायन होता है। तीसरे वर्ष—श्रावण शुक्ला १० को दक्षिणायन, माघ कृष्णा १…
पक्ष-मास-वर्ष आदि का प्रमाण जितने काल में एक परमाणु आकाश के १ प्रदेश को लांघता है उतने काल को १ समय कहते हैं। ऐसे असंख्यात समयों की १ आवली होती है। अर्थात्— असंख्यात समयों की १ आवली संख्यात आवलियों का १ उच्छ्वास ७ उच्छ्वासों का १ स्तोक ७ स्तोकों का १ लव ३८ लवों की…
चक्रवर्ती के द्वारा सूर्य के जिनबिम्ब का दर्शन जब सूर्य पहली गली में आता है तब अयोध्या नगरी के भीतर अपने भवन के ऊपर स्थित चक्रवर्ती सूर्य विमान में स्थित जिनबिम्ब का दर्शन करते हैं। इस समय सूर्य अभ्यंतर गली की परिधि ३१५०८९ योजन को ६० मुहूर्त में पूरा करता है। इस गली में सूर्य…
सूर्य के अंतिम गली में रहने पर ताप-तम का प्रमाण सूर्य जब अंतिम गली में गमन करता है उस समय लवण समुद्र के छठे भाग में ताप की परिधि १०५४०९ योजन की एवं तम की परिधि १५८११३ योजन की होती है। उसी समय मध्यम गली में ताप की परिधि ६३३४० योजन एवं तम की परिधि…
सूर्य के मध्यम गली में रहने पर ताप-तम का प्रमाण जब सूर्य मध्यम गली१ में गमन करता है उस समय ताप और तम की परिधि समान होती है। अर्थात्— उस समय लवण समुद्र के छठे भाग में ताप और तम की परिधि १३१७६१ योजन समान रहती है। इसी समय बाह्य गली में ताप एवं तम…
सूर्य के ताप का चारों तरफ पैâलने का क्रम सूर्य का ताप मेरू पर्वत के मध्य भाग से लेकर लवण समुद्र के छठे भाग तक पैâलता है। अर्थात्—लवण समुद्र का विस्तार २००००० योजन है उसमें ६ का भाग देकर १ लाख योजन जम्बूद्वीप का आधा ५०००० मिलाने से · ८३३३३ योजन (३३३३३३३३३ मील) तक प्रकाश…
लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि का प्रमाण ५२७०४६ योजन (२१२८१८४००० मील) है।
सूर्य के ताप का चारों तरफ पैâलने का क्रम सूर्य का ताप मेरू पर्वत के मध्य भाग से लेकर लवण समुद्र के छठे भाग तक पैâलता है। अर्थात्—लवण समुद्र का विस्तार २००००० योजन है उसमें ६ का भाग देकर १ लाख योजन जम्बूद्वीप का आधा ५०००० मिलाने से · ८३३३३ योजन (३३३३३३३३३ मील) तक प्रकाश…
अधिक दिन एवं मास का क्रम जब सूर्य एक पथ से दूसरे पथ में प्रवेश करता है तब मध्य के अन्तराल २ योजन (८००० मील) को पार करते हुये ही जाता है। अतएव इस निमित्त से १ दिन में १ मुहूर्त की वृद्धि होने से १ मास में ३० मुहूर्त (१ अहोरात्र) की वृद्धि होती…