इन देवों की आयु का प्रमाण
इन देवों की आयु का प्रमाण चन्द्रदेव की उत्कृष्ट आयु — १ पल्य और १ लाख वर्ष की है। सूर्यदेव की उत्कृष्ट आयुु — १ पल्य और १ हजार वर्ष की है। शुक्रदेव की उत्कृष्ट आयुु — १ पल्य और १०० वर्ष की है। वृहस्पतिदेव…
इन देवों की आयु का प्रमाण चन्द्रदेव की उत्कृष्ट आयु — १ पल्य और १ लाख वर्ष की है। सूर्यदेव की उत्कृष्ट आयुु — १ पल्य और १ हजार वर्ष की है। शुक्रदेव की उत्कृष्ट आयुु — १ पल्य और १०० वर्ष की है। वृहस्पतिदेव…
चन्द्र के भवनों का वर्णन इन जिनभवनों के चारों ओर समचतुष्कोण लम्बे और नाना प्रकार के विन्यास से रमणीय चन्द्र के प्रासाद होते हैं। इनमें कितने ही प्रासाद मर्कत वर्ण के, कितने ही कुंद पुष्प, चन्द्र, हार एवं बर्फ जैसे वर्ण वाले, कोई सुवर्ण सदृश वर्ण वाले व कोई मूंगा जैसे वर्ण वाले हैं। इन…
सूर्य, चन्द्र के विमानों में स्थित जिनमंदिर का वर्णन सभी ज्योतिर्देवों के विमानों में बीचोंबीच में एक-एक जिनमंदिर है और चारों ओर ज्योतिर्वासी देवों के निवास स्थान बने हैं। विशेष१—प्रत्येक विमान की तटवेदी चार गोपुरों से युक्त है। उसके बीच में उत्तम वेदी सहित राजांगण है। राजांगण के ठीक बीच में रत्नमय दिव्य कूट है।…
शीत एवं उष्ण किरणों का कारण पृथ्वी के परिणामस्वरूप (पृथ्वीकायिक) चमकीली धातु से सूर्य का विमान बना हुआ है, जो कि अकृत्रिम है। इस सूर्य के बिम्ब में स्थित पृथ्वीकायिक जीवों के आतप नामकर्म का उदय होने से उसकी किरणें चमकती हैं तथा उसके मूल में उष्णता न होकर सूर्य की किरणों में ही उष्णता…
वाहन जाति के देव इन सूर्य और चन्द्र के प्रत्येक (विमानों को) आभियोग्य जाति के ४००० देव विमान के पूर्व में सिंह के आकार को धारण कर, दक्षिण में ४००० देव हाथी के आकार को, पश्चिम में ४००० देव बैल के आकार को एवं उत्तर में ४००० देव घोड़े के आकार को धारण कर (इस…
ज्योतिष्क विमानों की किरणों का प्रमाण सूर्य एवं चन्द्र की किरणें १२०००-१२००० हैं। शुक्र की किरणें २५०० हैं। बाकी सभी ग्रह, नक्षत्र एवं तारकाओं की मंद किरणें हैं।
चार्ट नं-४ ज्योतिष्क देवों के बिम्बों का प्रमाण इन सभी विमानों की बाह्य (मोटाई) अपने-अपने विमानों के विस्तार से आधी-आधी मानी गयी है। राहु के विमान चन्द्र विमान के नीचे एवं केतु के विमान सूर्य विमान के नीचे रहते हैं अर्थात् ४ प्रमाणांगुल (२००० उत्सेधांगुल) प्रमाण ऊपर चन्द्र-सूर्य के विमान स्थित होकर गमन करते रहते…
सूर्य, चन्द्र आदि के विमानों का प्रमाण सूर्य का विमान योजन का है। यदि १ योजन में ४००० मील के अनुसार गुणा किया जाये तो ३१४७ मील का होता है एवं चन्द्रमा का विमान योजन अर्थात् ३६७२ मील का है। शुक्र का विमान १ कोश का है। यह बड़ा कोश लघु कोश से ५०० गुणा…
चार्ट नं-३ ज्योतिष्क देवों की पृथ्वी तल से ऊँचाई
ज्योतिष्क देवों की पृथ्वी तल से ऊँचाई का क्रम उपरोक्त ५ प्रकार के ज्योतिर्वासी देवों के विमान इस चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन से प्रारम्भ होकर ९०० योजन की ऊँचाई तक अर्थात् ११० योजन में स्थित हैं। यथा—इस चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन के ऊपर प्रथम ही ताराओं के विमान हैं। अनन्तर १० योजन जाकर…