अथ प्रत्येक अर्घ्य (२४ अर्घ्य)
अथ प्रत्येक अर्घ्य (२४ अर्घ्य) —सोरठा— तीर्थ प्रवर्तन काल, उसमें केवलि मुनि हुये। ये सब गुणमणिमाल, पुष्पांजलि कर पूजहूँ।।१।। इति मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्। —गीता छंद— सागर पचास सुलाख कोटी, तथा इक पूर्वांग है। पुरुदेव जिनका तीर्थ वर्तन, काल शास्त्र प्रमाण है।। इस काल में बहुकेवली श्रुतकेवली मुनिगण हुये। निज आत्म संपद प्राप्त हेतु जजूँ उनको…