जयमाला
“…जयमाला…” (तर्ज-चंदन सा बदन…….) नेमी भगवन्! शत शत वंदन, शत शत वंदन तव चरणों में। कर जोड़ खड़े, तव चरण पड़े, हम शीश झुकाते चरणों में।।टेक.।। यौवन में राजमती को वरने, चले बरात सजा करके। पशुओं को बांधे देख प्रभो! रथ मोड़ लिया उल्टे चल के।। लौकांतिक सुर संस्तव करके, पुष्पांजलि की तव चरणों में।।नेमी.१।।…