भजन
भजन तर्ज-जरा सामने तो……. तीरथयात्रा का पुण्य विशाल है, इसकी दूजी न कोई मिशाल है। इससे आत्मा बनेगी परमात्मा, भवसागर से होकर पार है।।टेक.।। कोई गंगा को तीरथ कह, उसमें डुबकी लगाते हैं। कोई संगम तट पर जाकर, निज को शुद्ध बनाते हैं।। सच्चे तीरथ की कीरत विशाल है, इसकी दूजी न कोई मिशाल है।…