“…कृतिकर्म विधि…”
“…कृतिकर्म विधि…” श्रीमते वर्धमानाय, नमो नमितविद्विषे। यज्ज्ञानान्तर्गतं भूत्वा, त्रैलोक्यं गोष्पदायते।।१।। जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करते समय तथा सामायिक आदि करते समय जो हाथ जोड़ना, पंचांग नमस्कार करना आदि क्रियाएँ की जाती हैं, उसका नाम ही कृतिकर्म है। इस कृतिकर्म को विधिवत् करने के लिए यहाँ शास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत किये जा रहे हैं- जिनेन्द्र भगवान के…