भजन
भजन तर्ज—सुमेरु गिरि पर मस्तकाभिषेक….. ऋषभगिरि पर मस्तकाभिषेक, ऋषभदेव जिनराज का-ऋषभदेव जिनराज का।।टेक.।। पूर्व दिशा में सूरज जैसे।।हो…..ऽऽ मरुदेवी मां के सुत वैसे।।हो…..ऽऽ नाभिराय के लाल का, ऋषभदेव जिनराज का।।ऋषभगिरि पर ……..।।१।। तीर्थंकर बन तीर्थ चलाया।।हो…..ऽऽ धर्म तीर्थ का अर्थ बताया।।हो…..ऽऽ तभी खुला शिवमार्ग था, ऋषभदेव जिनराज का।।ऋषभगिरि पर ……..।।२।। आदिनाथ की सुन्दर प्रतिमा।।हो…..ऽऽ कहती…