भजन
भजन…. तर्ज—हे वीर तुम्हारे…… भगवान तुम्हारे दर्शन से, सम्यग्दर्शन मिल जाता है। चरणों में तुम्हारे वंदन से, निज अन्तर्मन खिल जाता है।। टेक.।। जैसे अंगार दहकता है, जल सबकी प्यास बुझाता है। सूरज जैसे देकर प्रकाश, धरती का तिमिर भगाता है।। वैसे ही प्रभु मुख दर्शन से, मानो सब सुख मिल जाता है। भगवान तुम्हारे…