भजन
भजन….. नीले गगन के तले, मेरे प्रभु हैं खड़ें। मेरु गिरी सम अडिग तपस्वी, ऋषभ जिनेश खड़े।। हे ऽऽऽनीले गगन के तले…… दर्शन से जिनके सारे जगत के जीवों के संकट टलें। हे नीले गगन के तले………।।१।। गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती जी के शुभ वचन फले। हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।२।। करना नहीं कुछ शेष प्रभू…